राष्ट्रीय राजधानी में छाई धुंध की परत
नई दिल्ली,जनमुख न्यूज। राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को धुंध की एक परत छा गई और समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक २९३ पर पहुंच कर ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गया। दिल्ली के आनंद विहार इलाके में गिरकर ३३९ हो गया है, जिसे ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है। इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में २७० दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में है।वहीं द्वारका सेक्टर-८ में एक्यूआई ३२५ दर्ज किया गया, जिससे यह क्षेत्र ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गया। राष्ट्रीय राजधानी में पूर्वी दिल्ली का विवेक विहार इलाका ३२४ के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, जब को ‘खराब’ श्रेणी में चिह्नित किया जाता है, तो लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने पर अधिकांश लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, जबकि जब यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में होता है, तो लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने पर श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है।पीडब्ल्यूडी वाहनों ने जीआरएपी-१ के अनुपालन में धूल प्रदूषण को कम करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न भागों में पानी का छिड़काव किया। इससे पहले मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान-१ (जीआरएपी-१) के तहत उपायों के सख्त कार्यान्वयन की घोषणा की।यह घोषणा दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद की गई, जिसमें पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बयान के अनुसार, धूल नियंत्रण के लिए निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने के लिए ९९ टीमों को नियुक्त किया गया है। लोक कल्याण विभाग (पीडब्ल्यूडी) २०० एंटी-स्मॉग गन, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ३०, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) १४ और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ८० तैनात करेगा। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस यातायात-संभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त कर्मियों को तैनात करेगी और जरूरत पड़ने पर होमगार्ड को स्टैंडबाय पर रखा जाएगा।मुख्यमंत्री आतिशी ने दिल्लीवासियों से कारपूल करने, पटाखे और कचरा जलाने से बचने और ग्रीन दिल्ली ऐप के माध्यम से प्रदूषण की घटनाओं की रिपोर्ट करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि टीमें यह सुनिश्चित करेंगी कि सरकारी और निजी निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का पालन किया जाए, तथा निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) कचरे को हटाने पर विशेष ध्यान दिया जाए, जो पीएम २.५ और पीएम १० के स्तर को बढ़ाता है और धूल प्रदूषण में योगदान देता है।