संसद सत्र के पहले दिन पीएम मोदी का विपक्ष पर बड़ा हमला, जिन्हें जनता ने बार-बार नकारा, वे संसद का काम रोकते है
नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। संसद सत्र के पहले दिन सत्र शुरु होने से पहले ही पीएम मोदी विपक्ष पर हमला बोला। संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि जिन्हें जनता 80 बार नकार चुकी है, वो संसद का काम रोकते हैं। वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, वे संसद को भी, मुट्ठी भर लोगों की हुड़दंग बाजी से कंट्रोल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता और देश की जनता उनके सारे व्यवहारों को देखती है और जब समय आता है, तब सजा भी देती है। सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद नए विचार और नई ऊर्जा लेकर आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में उनको बोलने का अवसर नहीं मिलता।’
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों से संसद में स्वस्थ चर्चा करने की अपील की। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए संसद में चर्चा न होने देने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरी उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में लगा हुआ है। संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। अब सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा, 75वें साल में उसका प्रवेश, ये अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है।’
पीएम मोदी ने कहा कि साथियों ये सदन लोकतंत्र के आम चुनाव के बाद देश की जनता को अपने-अपने राज्यों में कुछ स्थानों पर अपनी भावना, अपने विचार प्रकट करने का अवसर मिला है। उसमें भी 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को और अधिक ताकत दी गई है और अधिक समर्थन का व्याप बढ़ा है। लोकतंत्र की ये शर्त है कि हम जनता-जनार्दन की भावनाओं का आदर करें उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार मेहनत करें। मैं बार-बार विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा है और कुछ विपक्ष जिम्मेदारी से व्यवहार करते भी हैं कि सदन में सुचारू रूप से काम हो, लेकिन लगातार जिनको जनता ने नकार दिया है, वे अपने साथियों की भावनाओं का भी अनादर करते हैं, लोकतंत्र की भावनाओँ का अनादर करते हैं। मैं आशा करता हूं कि हमारे नए साथियों को अवसर मिले, सभी दल में नए साथी हैं, उनके पास नए विचार हैं, भारत को आगे ले जाने के लिए नई कल्पनाएं हैं।’
‘जिन्हें जनता ने नकारा, वे संसद में चर्चा नहीं होने देते’
‘लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम करना है अगली पीढ़ी को तैयार करें, लेकिन 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।’
‘हमें जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना ही होगा’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘संसद में बैठे हुए हम सभी को जनता जनार्दन की भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा। समय की मांग है कि हम जितना समय गंवा चुके हैं, उसका थोड़ा प्रायश्चित करें। हम बहुत ही तंदरुस्त तरीके से संसद में चर्चा करें। आने वाली पीढ़ियां उसे पढ़ेंगी और उससे प्रेरणा लेगी। मुझे आशा है कि ये सत्र बहुत ही परिणामकारी हो। भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो, नए सांसद और विचारों को बल देने वाला हो। इसी भावना के साथ मैं फिर एक बार सभी सांसदों को उत्साह और उमंग के साथ सभी साथियों का स्वागत करता हूं।’