एक पार्टी की देन नहीं है संविधान -राजनाथ सिंह
नई दिल्ली, जनमुख न्यूज। कई दिनों से संसद में हंगामे के बाद आज दो दिवसीय संविधान पर चर्चा शुरू हुई। जिसकी लोकसभा में शुरुआत केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने कहा कि ‘७५ साल पहले संविधान सभा ने संविधान निर्माण का काम पूरा किया था। संविधान सभा ने जो संविधान तैयार किया था, वह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं था बल्कि वह जनआकांक्षाओं का प्रतिबिंब था।’ राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘संविधान से देश में सही मायने में लोकतंत्र लागू हुआ। हमारा संविधान सार्वभौम है, जहां यह राज्य की जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करता है तो वहीं नागरिकों के अधिकारों का भी उल्लेख करता है। हमारा संविधान सहकारी सघंवाद को सुनिश्चित करता है तो राष्ट्र की एकता को भी सुनिश्चित करता है। भारत का संविधान देश के गौरव को स्थापित करने का रोडमैप भी है।’
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘कुछ लोगों द्वारा हमारे संविधान को उपनिवेशवाद का उपहार या अच्छी बातों का संकलन मात्र मान लिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से देश में ऐसा माहौल बनाया गया कि संविधान एक पार्टी की विशेष देन है। संविधान निर्माण में बहुत से लोगों की भूमिका को नकार दिया गया। हमारे संविधान के लिखे जाने से छह साल पहले यानी १९३४ में ‘कॉन्सटिट्यूशन ऑफ हिंदुस्तान प्रâी स्टेट’ में कई बड़े नेताओं ने संविधान के बारे में अपने विचार दिए थे। इसमें धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, प्रत्येक नागरिक को अपनी संस्कृति और भाषा की रक्षा करने, सरकार को धर्म के आधार पर धर्मनिरपेक्ष बताया गया था। सार्वजनिक अनुदान वाले स्कूलों को धार्मिक शिक्षा देने पर मनाही थी और खास बात ये है कि ये बात उन लोगों ने कही थी, जिन्हें कांग्रेस के लोग सांप्रदायिक बताते हैं।’
संविधान निर्माण के काम को हाईजैक करने की कोशिश की गई’राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधाते हुए कहा कि ‘एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के काम को हाईजैक करने की कोशिश हमेशा की गई। संविधान में संविधान निर्माण से जुड़ी बातें हमेशा छिपाई गर्इं। हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है। यह भारत के लोगों के लिए, भारत के मूल्यों के अनुरूप बनाया गया। हमारे देश में राजा भी राजधर्म से बंधा है, उसकी शक्तियां लोगों के कल्याण के लिए है। हमारा संविधान समावेशी, परिवर्तनकारी है। हमारे देश में कोई भी व्यक्ति देश के शीर्ष पद तक पहुंच सकता है। हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही है और हमने नारी शक्ति वंदन अधिनियम भी पारित किया है। हमारी सरकार में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई है।’हमारा संविधान औपनिवेशिक उपहार नहीं’
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘इस देश में एक राज्य था, जहां देश का संविधान और देश के कानून लागू नहीं होते थे, लेकिन हमने उस राज्य में भी देश का संविधान लागू करके दिखाया है। वहां हाल ही में चुनाव हुए हैं, जहां हिंसा की एक घटना भी नहीं हुई। भारत लोकतंत्र की जननी है। संविधान के निर्माण में शामिल सभी लोग महान देशभक्त थे। जब अन्य एशियाई और अप्रâीकी देश औपनिवेशिक गुलामी से आजाद हुए तो उनका संविधान एक औपनिवेशिक उपहार था, लेकिन भारत ने अपना संविधान अपने लिए खुद रचा, जो हमारे लिए गर्व की बात है। जहां अन्य देशों के संविधान ज्यादा टिक नहीं पाए, वहीं भारत का संविधान आज भी मजबूत बना हुआ है। संविधान के संरक्षक के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को हम सब मानते हैं। आज संविधान रक्षा की बात कही जा रही है? जबकि ये भी समझने की जरूरत है कि किसने संविधान की रक्षा की और किसने संविधान का अपमान किया। १९७३ में सभी संविधान मूल्यों को तब की कांग्रेस सरकार ने वरीयता को नकारते हुए अन्य जज को देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया था। मुझे हैरानी होती है कि इस कृत्य को अंजाम देने वाली पार्टी आज संविधान की रक्षा की बात करती है।’