बीएचयू में चरम पर भ्रष्टाचार, हृदय रोग विशेषज्ञ ने कुलपति पर लगाए गंभीर आरोप
वाराणसी, जनमुख न्यूज़। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल चिकित्सालय के हृदय रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ओम शंकर ने आज एक पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि बीएचयू में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। पेड़ों की कटाई, भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता, अस्पताल में व्यापक भ्रष्टाचार विश्वविद्यालय की छवि खराब कर रहा है। उन्होंने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन के कार्यकाल में नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इन अनियमितताओं ने न केवल यूजीसी के मानकों और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है, बल्कि जातिगत भेदभाव और पक्षपात की एक व्यवस्थित प्रणाली को भी उजागर किया है।
प्रो. ओम शंकर ने आरोप लगाया कि कुलपति ने बीएचयू अधिनियम के क्लॉज 7(c)5 के तहत आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए नियमित और गैर-आपातकालीन नियुक्तियों को उचित ठहराया है। ये नियुक्तियां राष्ट्रपति (बीएचयू के विजिटर) के द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से जारी आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं। इन आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नियमित नियुक्तियों के लिए आपातकालीन शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता। इन निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए, प्रो. जैन ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त करने के लिए फर्जी आपात स्थिति का सहारा लिया।
इतना ही नहीं कुलपति ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को प्रदर्शित करने की अनिवार्यता का पालन नहीं किया, जो यूजीसी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। इस चूक ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को हाशिए पर डालने के लिए जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया है। उनके विवादास्पद “नॉट फाउंड सूटेबल” (योग्य नहीं पाया गया) नीति का उपयोग विशेष रूप से वंचित वर्गों के उम्मीदवारों को अवसरों से वंचित करने के लिए किया गया है।
इसके साथ हृदय रोग विभाग में 75% से अधिक शिक्षकों के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं, जिससे मरीजों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित किया गया है और योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोका गया है। कुलपति ने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर करते हुए वैधानिक नियमों की अनदेखी की है।
प्रोफेसर ओम शंकर ने कहा कि प्रो. सुधीर कुमार जैन की इन कार्रवाइयों ने बीएचयू की शैक्षणिक साख और प्रतिष्ठा को गहरी क्षति पहुंचाई है। इन उल्लंघनों की तत्काल जांच और सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर मांग की है कि प्रो. जैन के कार्यकाल के दौरान की गई सभी नियुक्तियों की निष्पक्ष जांच कराई जाए। तथा यूजीसी और सरकारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी तय हो। और आरक्षण नीतियों का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि समानता और योग्यता को प्राथमिकता दी जा सके।
प्रोफेसर ओम शंकर का कहना था कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय शिक्षा और समानता का प्रतीक है। ऐसी अनियमितताओं और भेदभावपूर्ण प्रथाओं को जारी रहने देना इस प्रतिष्ठित संस्थान की विरासत को कमजोर करता है। पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वास को बहाल करने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाना आवश्यक है।