हुई जनवरी केसरिया
आज हवा रस घोल रही है
दिशा -दिशा है केसरिया।
धरती जोगन का इकतारा
राग छिड़ा है केसरिया।।
नव विहान के नव स्वर गूंजे
नवाचार,नवयुग आया,
नव वीणा के तार झनकते
शुभ स्वराज मंगल छाया,
लहर -लहर लहराए तिरंगा
जन-गण का मन केसरिया।
संविधान को नमन करें सब
पन्ना -पन्ना केसरिया।।
जानें अपने अधिकारों को
नियमों का निर्वाह करें,
कर्तव्यों की सूची पढ़ कर
जीवन की परवाह करें,
नई राह, गंतव्य नया है
ध्वजा साथ है केसरिया।
नए तंत्र की नई उड़ानें
आसमान है केसरिया।।
अपनी भाषा, अपनी बोली
अपनी आशा, स्वच्छ विचार,
अपनी श्रम-अर्जित सुविधाएं
अपने खेत और घर -बार ,
लाल क॰िले की प्राचीरों से
रंग उड़ रहा केसरिया।
अद्भुत ये गणतंत्र रंगीला
हुई जनवरी केसरिया।।
डॉ. शशि बाला