छोटी- छोटी समस्याएं, उद्योगों की गति में बन रही हैं बड़ी बाधा, मंडलायुक्त से एमएसएमई ने समाधान की मांग
वाराणसी, जनमुख न्यूज़। वाराणसी के उद्यमियों ने मंगलवार को मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के समझ अपनी समस्याओं को रखा और उन्हें जल्द से जल्द दूर करने का अनुरोध किया। उद्यमियों ने मंडलायुक्त के साथ हुई इस बैठक में उन्हें बताया कि किस प्रकार छोटी-छोटी समस्याएं उद्यमों की गतिशीलता में बड़ी बाधा बन रही है, ऐसे में यदि उनकी समस्याएं और कारोबार में आ रही बाधाओं को दूर कर लिया जाए तो मंडल में निवेशकों की संख्या और बढ़ेगी। और यहाँ के उद्यमी प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे। पूर्वांचल में उद्योगों के सुगम संचालन और आ रही समस्याओं के समाधान विषयक परिचर्चा के दौरान उद्यमियों ने 11 सूत्रीय मांग पत्र भी मंडलायुक्त को सौंपा। कमिश्नरी सभागार में बैठक के दौरान मंडलायुक्त ने मौजूद सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया कि औद्योगिक विकास से संबंधित कार्यों में किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं हो।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की इस बैठक में उद्योगपति आर. के चौधरी ने उद्योग क्षेत्र में आ रही समस्याओं को मंडलायुक्त के समक्ष रखते हुए बताया कि ज्यादा उपभोग वाले उपभोक्ताओं को कम दर में विद्युत उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में ओपन एक्सेस प्रणाली लागू है जिससे उद्यमी देश के किसी भी भाग में उपलब्ध कम दर की विद्युत को ग्रिड के माध्यम से खरीद सकता है। इस हेतु प्रत्येक तीन माह पर विद्युत विभाग से NOC तथा अप्रूवल लेना होता है, विद्युत विभाग इस अप्रूवल तथा NOC को देने में अनावश्यक विलंब करता है जिसके कारण विलंबित दिनों की विद्युत आपूर्ति उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन से लेनी पड़ती है जिसकी विद्युत दरें अन्य के मुकाबले ज्यादा है। ओपन एक्सेस प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं का बिल मैन्युअली बनाया जा रहा है जबकि सॉफ्टवेयर जेनरेटेड बिल मिलना चाहिए। इतना ही नहीं विद्युत कनेक्शन लेने से ज्यादा दिक्कत विद्युत कनेक्शन के डिस्कनेक्ट करने में होती है, विद्युत विभाग अनावश्यक रूप से एक लंबी प्रक्रिया के बाद विद्युत विच्छेदन करता है यह प्रक्रिया दो भागों में है पहले भाग आपका मीटर अनइनस्टॉल्ड हो जाएगा, दूसरे भाग में परमानेंट डिस्कनेक्शन होगा। उपभोक्ता की छोटी सी लापरवाही वर्षों बाद उसे कनेक्शन के बड़े बिल के रूप में उसके सामने आती है। पावर लूम उद्योग के विद्युत विच्छेदन तो विभाग कर ही नहीं रहा है क्योंकि उनके बिलों में सब्सिडी का पार्ट जो सरकार ने जमा करना है, वह नहीं जमा होने के कारण बिल का भुगतान अधूरा रह जाता है और नियम यह है कि बिना पूरा भुगतान किया विद्युत विच्छेदन नहीं होगा। इसके अतिरिक्त विद्युत के स्थाई विच्छेदन के बाद विद्युत विभाग उपभोक्ता की जमा सिक्योरिटी वापस करने में तमाम हीला हवाली करता है।
उद्योगों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति अभी भी एक सपना है विद्युत विभाग लगातार होने वाली ट्रिपिंग के कारणों में ना जाकर सिर्फ फ्यूज बांधकर लाइन चालू कर देना है इसका निराकरण समझता है विद्युत विभाग के अभियंताओं की एक टीम बनाकर ट्रिपिंग के कारणों का पता कर इसका । स्थायी निराकरण किए जाने की आवश्यकता है।
उद्यमियों में सोलर प्लांट लगाने की जागरूकता के कारण उद्योगों में लगातार सोलर प्लांट्स लग रहे हैं परंतु उनकी बिलिंग में आ रही समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है, सोलर बिलिंग सिस्टम को प्राथमिकता के आधार पर ठीक करने की आवश्यकता है इससे उद्यमियों में निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है। श्री चौधरी ने जीएसटी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कलेक्शन सरकार की उम्मीद से भी ज्यादा हो रहा है इसके बावजूद कलेक्शन के लिए अधिकारियों को टारगेट देकर उद्यमियों को टारगेट बनाना उचित नहीं है।
जीएसटी द्वारा बिना मैन्युअल स्क्रीनिंग के ए आई जेनरेटेड नोटिसे जारी कर दी जा रही है इन ए आई जेनरेटेड नोटिसों में तमाम अनियमितताएं हैं जिनके कारण उद्यमी उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। विभाग का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जब तक पूरी तरह इंटेलिजेंट ना हो जाए तब तक बिना मैन्युअल स्क्रीनिंग के कोई भी नोटिस ना भेजी जाए। जी.एस.टी. विभाग में असेसमेंट की प्रक्रिया कई वर्षों बाद शुरू होती है जिसके कारण एसेसमेंट ईयर में हुई छोटी त्रुटियों की भी पेनल्टी तथा ब्याज इत्यादि मिलकर बड़ी धनराशि हो जाती है, आयकर विभाग की तर्ज पर जीएसटी को भी ईयर एंड होने के तीन माह के अंदर असेसमेंट कर लेना चाहिए जिससे यदि कहीं कोई त्रुटि रह गई हो तो उसका तुरंत ही निराकरण हो सके। बैठक में उद्यमियों ने अन्य विभागों से भी उद्योग जगत के काम में आ रही बढ़ाओ से मंडलायुक्त को अवगत कराया।
इस मौके पर उद्योगपति राजेश भाटिया ने कहा कि एमएसएमई के उन्नयन में बैंकों का बड़ा योगदान है सरकार के निर्देश के बावजूद कॉलेटरल फ्री लोन देने में बैंक हीला हवाली करते हैं बैंक इंडस्ट्रियल लैंड को कॉलेटरल ना मानकर प्राइमरी सिक्योरिटी में ले लेते हैं और अलग से कॉलेटरल की मांग करते हैं एमएसएमई के लिए कॉलेटरल की व्यवस्था करना मुश्किल होता है। लोन पर ब्याज की दरों में अंतर होने के कारण उद्यमी यदि अपना बैंक परिवर्तित करता है तो उस पर तीन से चार प्रतिशत प्री क्लोजर पेनल्टी के रूप में बैंक चार्ज कर लेता है, इसे समाप्त करने की आवश्यकता है।
बैठक मे आर. के. चौधरी, राजेश भाटिया, नीरज पारीख, पंकज अग्रवाल, जगदीश झुंझुवाला, दीपक बजाज, अनुपम देवा, ओ. पी. बदलानी, प्रशांत अग्रवाल, मनीष कटारिया, बालकृष्ण थरड, बृजेश यादव,राहुल मेहता, मोहन अग्रवाल, मनोज खंडेलवाल, यू. आर. सिंह, भरत अग्रवाल, सुरेश पटेल, अंजनी सिंह, महिपाल गुप्ता, नारायण कोठारी आदि लोग उपस्थित थे।