गांधी जयंती पर विशेष
गांधी तेरे देश में ऐसी चली बयार
उत्तर -दक्षिण में खड़ी भाषा की दीवार
गांठ अब खोलो मन की।।
सच के मुंह ताला जड़ा, झूठ उड़ावे मौज
देख, अहिंसा रो रही, हिंसा होवे रोज़
बने सब अपने दुश्मन।।
जात-पात के मामले, छुआछूत के रोग
घूम रहे खादी पहन तथाकथित सब लोग
लोग अपनापन भूले।।
अनुशासन और प्रेम का राम-राज आ जाय
पानी उतरे बाढ़ का फ़सल हरी हो जाय
चलो अच्छे दिन आएं।।
धरती -जंगल बंट रहे दिल्ली के दरबार
नई ख़बर यह छापते काशी के अख़बार
बमकती दुनिया सारी।।
गांधी -गीरी कर रहे ढेरों ‘मुन्ना भाय’
क्या जाने कब देश में साम्यवाद आ जाय
शेर,बकरी संग खेले।।
गठरी चांपे कांख में चरखा कातें संत
भैंस चरावें बैठ कर लाठी से श्रीमंत
बोल जय राजनीति की।।
खड़ा कबीरा हाट में मंगता सबकी खैर
प्रेमी से तू प्रेम कर, बैरी के संग बैर
यही गांधी -दर्शन है।।
राष्ट्रपिता बापू तुम्हीं आ जाओ एकबार
सहिष्णुता, बंधुत्व से फिर भर दो संसार
प्यार की बोली बोलें।।
वैष्णव जन पीड़ा हरें,मिटे क्रोध और काम,
सुमिरें बापू का भजन “रघुपति राघव राम”
पतित पावन जन मन के।।
याद रहे यह प्रार्थना विश्व -शांति-आधार
बापू के आशीष से सुखी रहे घर-बार
जोत से जोत जगाओ।।