गुजारा भत्त्ता पर सुप्रीम कोर्ट ने तय किया नया पैमान, दोनों पक्ष को मिली राहत
नई दिल्ली,जनमुख न्यूज। यह बेहद दुखद है कि बेंगलुरू में ३४ साल के अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी के साथ तलाक, गुजारा भत्ता और अन्य मामलों को लेकर चल रहे कानूनी विवाद के चलते अपनी जान दे दी. उन्होंने मरने से पहले अपनी पत्नी पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने, पैसे ऐंठने और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए.अतुल सुभाष की आत्महत्या ने यह दिखाया है कि तलाक-गुजारा भत्ता के मामलों में कानूनी प्रक्रिया कितनी मुश्किल और तनावपूर्ण हो सकती है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में गुजारा भत्ता को लेकर अहम फैसला सुनाया है।यह मामला दुबई के एक बैंक के सीईओ का है जिनकी साल १९९८ में शादी हुई और २००४ में उनका पत्नी से विवाद हो गया. इसके बाद शुरू हुई कानूनी लड़ाई, जिसमें २० साल तक यह बैंकर पारिवारिक अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक घूमता रहा।
२००४ में बैंकर ने क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक की अर्जी दायर की इसके बाद पत्नी ने भी गुजारा भत्ता पाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा २४ के तहत याचिका दायर कर दी. यह केस २० साल से अदालतों में घूम रहा है. परिवारिक अदालत से शुरू हुआ ये मामला पहले हाईकोर्ट में पहुंचा और फिर सुप्रीम कोर्ट. मुख्य सवाल यही है कि पत्नी को कितना गुजारा भत्ता मिलना चाहिए।