कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सी जे आई ने बनायी नेशनल टास्क फोर्स बनाई
डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा के उपाए बताएंगे
नई दिल्ली, जनमुख डेस्क। कोलकाता रेप-मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आज बेहद सख्त रुख अपनाया। इस मामले आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जहां बंगाल सरकार को फटकार लगाई वहीं सीबीआई से तीन महीने के जांच पूरी करने को कहा। कोर्ट ने चिकित्सको से भी हड़ताल समाप्त करने की अपील की चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने आज एक बड़ा पैâसला करते हुए डॉक्टर्स की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए टास्क फोर्स गठन कर दिया है। इसमें ९ डॉक्टर्स को शामिल किया गया है, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगा। टास्क फोर्स में केंद्र सरकार के पांच अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। बेंच ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।’ सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की गई। कोर्ट ने कहा कि यह घटना दुखद है। कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संदीप घोष को लेकर भी कई सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद डरावनी घटना है। प्रिंसिपल ने इस मामले को पहले सुसाइड बताने की कोशिश की। आखिर प्रिंसिपल कर क्या रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर इस मामले के बाद प्रिंसिपल की नियुक्ति दूसरी जगह कैसे कर दी गई?
क्या है पूरा मामला?
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में नौ अगस्त की दरमियानी रात को प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। अगले दिन सुबह उसका शव मिला था, जिसके बाद से डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल पुलिस से जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी है। शीर्ष अदालत ने मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय के पहले से ही शामिल होने के तथ्य को महत्वपूर्ण रखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों, खासकर डॉक्टरों और उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत न्यायिक जांच का दायरा बढ़ा सकती है।