एक्शन और स्टाइल से दर्शकों को लुभाएगी वरुण धवन की ‘Baby John’
अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘हम’, और हाल में रिलीज़ हुई रजनीकांत की ‘जेलर’ और साउथ के ही विजय की मूवी ‘लियो’ की कहानी से मिलती-जुलती है अब वरुण धवन की ‘बेबी जॉन’ की कहानी। लेकिन एक्शन और स्टाइल के साथ-‘साथ फ़िल्म का एक-एक सीन, एक-एक किरदार क़ायदे से रचा गया है, जो आपको मूवी देखने के दौरान बांधे रखता है।
फिल्म की कहानी के अनुसार सत्या वर्मा (वरुण धवन) नाम के एक युवा आईपीएस ऑफिसर की, जो शहर के डीसीपी के रूप में अपराधियों का काल है। पूरे शहर में उसके चर्चे हैं, हर कोई उसका फ़ैन है। उसकी ज़िंदगी में मीरा (कीर्ति सुरेश) नाम की एक डॉक्टर आती है और दोनों शादी कर लेते हैं। लेकिन शहर के डॉन बब्बर शेर (जैकी श्रॉफ़) से हुआ एक हिंसक विवाद इतना बड़ा हो जाता है कि मीरा उसे क़सम देकर अपनी बेटी ख़ुशी के साथ पुलिस की नौकरी छोड़कर कहीं दूर चले जाने को कह देती है।
वैसे फिल्म की शुरुआत भी सत्या की नई पहचान ‘बेबी जॉन’ की ज़िंदगी से ही होती है. जिसे पूरा शहर मान चुका था कि वो और उसका परिवार घर में लगी आग में जलकर मर चुका है. ऐसे में कैसे उसके ज़िंदा होने का पता चलता है, कैसे उसको फिर से मजबूर किया जाता है कि वो वापस उस शहर में आए. कैसे वो अपनी क़सम तोड़कर एक एक से बदला लेता है, मूवीज़ देखकर ही पता चलेगा. आपको ये भी पता चलेगा कि मूवी में एक और हीरोईन वमिका ग़ब्बा की आख़िर ज़रूरत क्या थी?
तमिल मूवी ‘थेरी’ का रीमेक
ये मूवी २०१६ में एटली के निर्देशन में बनी तमिल मूवी ‘थेरी’ का रीमेक है। इसलिए अपनी पहली हिन्दी मूवी निर्देशित कर रहे कलीस ने बिना कोई बड़ा रिस्क लिये लगभग हर सीन मूल फ़िल्म से कॉपी किया है। लेकिन जिन लोगों ने उसे नहीं देखा है, इन्हें ये मूवी पूरी तरह एकदम ताज़ा लगेगी। कोई भी सीन सामान्य नहीं है। हर सीन को क़रीने से डिज़ाइन किया गया है। जैसे भीमा द्वारा बच्चे को चॉकलेट देने और फिर उसकी मौत पर चॉकलेट खाने का सीन।
जैकी श्रॉफ़ का शानदार किरदार
ऐसे में आप कहानी के फेर में ना पड़ें तो ये फ़िल्म आपको टाइम पास लग सकती है। सबसे शानदार है जैकी श्रॉफ़ का विलेन का किरदार, उनकी संवाद अदायगी, उनका लुक और स्टाइल आपको पसंद आने वाला है. उन्हीं के चलते फ़िल्म में जान आई है. वरुण के फ़ैन्स ने भी उनकी किसी भी मूवी में इस तरह का एक्शन नहीं देखा होगा, उनके रोल में रजनीकांत जैसी स्टाइल डालने की भी कोशिश की गई है. किसी हीरो द्वारा किसी को ज़िंदा जलाने जैसा हिंसक रोल तो आपने सोचा भी नहीं होगा।
वरुण और जैकी श्रॉफ़ ने एक्टिंग भी सामान्य से बेहतर की है, कीर्ति सुरेश की पहली हिन्दी मूवी है, उनका चुलबुला अन्दाज हालांकि गजनी की असिन के सामने कमजोर लगा है। फिर भी उनकी सहजता रोल को मज़बूत बनाती है। वेबसीरीज़ ‘ज़ुबली’ से पहचान बनाने वालीं वमिका ग़ब्बा भी इस मूवी में हैं लेकिन उनको ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया है। राजपाल यादव के रोल में भी कई तरह के शेड्स देखने को मिले हैं। फ़िल्म के सेट्स, एडिटिंग कमाल है, एक्शन और एडिटिंग में सलमान की ‘वांटेड’ जैसा असर दिखता है. सलमान का कैमियो शायद पार्ट२ की तैयारी के लिहाज़ से सोचा गया होगा।
फिल्म के गाने
फ़िल्म का म्यूजिक भले ही सर चढ़कर ना बोले लेकिन फ़िल्म के मूड मिजाज़ और स्पीड से मेल खाता है. मौक़े पर मारे गये कुछ डॉयलॉग्स भी मूवी को बेहतर बनाते हैं। जैसे वरुण का तकिया कलाम ‘मेरे जैसे देखे होंगे, मैं तो पहली बार आया हूं’ युवाओं की जुबान पर चढ़ सकता है।
समीक्षा- कहानी को नज़रअंदाज़ कर दें तो फ़िल्म लाउड है, एक्शन से भरपूर है, फ़िल्म की स्पीड अच्छी है, कहीं भी अपनी पकड़ नहीं छोड़ती।